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पता नहीं आजकल दिल बेचेन क्यों रहता है क्यों यह ची

पता नहीं आजकल दिल बेचेन क्यों रहता है 
क्यों यह चीख चीख कर मुझसे कुछ कहता है
ऐसा तो नहीं था मेरा दिल 
हर फ़ैसले में मेरा साथ देता था
 जितने भी फ़ैसले लिए आज तक
 हर बार एक सुकून सा रहता था
फिर आ गई है जिंदगी में फैसले की घड़ी 
एक बार फिर हंस रही है किस्मत दूर खड़ी!
किस्मत को हंसता देख क्यों डर गया है तू 
क्या भूल गया है सारी अपनी मेहनत को तू 

पता नहीं आजकल दिल बेचैन क्यों रहता है 
क्यों यह चीख चीख कर मुझसे कुछ कहता है
सोच रहा हूं। मैं किस्मत और मेहनत 
को आपस में लड़ाना है। 
साथ देना है मेहनत का उसे 
किस्मत से जिताना है।
अब कुछ भी हो जाए जिंदगी में 
मेहनत का ही साथ देना है। 
किस्मत के भरोसे बैठकर
 पाया जो मेहनत से नहीं खोना है।
मत सोच तू इतना 
क्यों अपनी किस्मत पर रोता है,
 मिल ही जाती है  मंजिल उन्हें 
जो निस्वार्थ दिल से फैसले लेता है।

पता नहीं आजकल दिल बेचैन क्यों रहता है
 क्यों ये चीख चीख कर मुझसे कुछ कहता है

©Ravi Kumar
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ravikumar8228

Ravi Kumar

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