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मुफ़लिसी में अपना खव्वाब बेचता हूं, ख़ारों के बीच

मुफ़लिसी में अपना खव्वाब बेचता हूं,
ख़ारों के बीच गुलाब बेचता हूं ।

हाक़िमों ने चढ़ा रक्खा है भ्रष्ट चश्मा,
मैं कोर्ट के आगे शराब बेचता हूं ।

चुनाव क्या है? पैसे का कारोबार है,
आ जा कुर्सीयों का हिसाब बेचता हूं ।

सुख-चैन छीन कर कह उठा यह शहर,
मैं मगरूरियत का ख़िताब बेचता हूं। #बेचता हू
मुफ़लिसी में अपना खव्वाब बेचता हूं,
ख़ारों के बीच गुलाब बेचता हूं ।

हाक़िमों ने चढ़ा रक्खा है भ्रष्ट चश्मा,
मैं कोर्ट के आगे शराब बेचता हूं ।

चुनाव क्या है? पैसे का कारोबार है,
आ जा कुर्सीयों का हिसाब बेचता हूं ।

सुख-चैन छीन कर कह उठा यह शहर,
मैं मगरूरियत का ख़िताब बेचता हूं। #बेचता हू