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kumaarkikalamse
सुबह होती है तक़्सीम हो जाता हूँ 'कुमार', साँझ होते ही फिर से खुद को इकट्ठा करता हूँ! — % & तक़्सीम - बाँटना, Distribution /Dividation काग़ज़ के नोट कमाने को ख़ुद को रोज बेचता हूँ हाँ.. कुछ इस तरह मैं अपना सौदा करता हूँ..! This is life of every working guy. (Male & Female both) {My point of view only}. #kumaarsthought #kumaarwrites2022 #बेचता #सुबह #टुकड़े #kumaaronzindagi
kumaarkikalamse
कभी सड़क किनारे गुब्बारे बेचता है, कभी धूप में खिलौने का करता व्यापार है। मुफलिसी के साये में है बेशक़ पर बेगैरत नहीं, इनकी खुददारी देख के लगता है, क्यों इनपे वो अत्याचार करता है।। #YQBaba #Kumaarsthought #YQDidi #हिंदी #hindi #poem #YoPoWriMo #गुब्बारे #खिलौने #बेचता
Junnu_writes✍️✍️
#पीठ पर बस्ता, #उस पर लिखा, "शिक्षा #का अधिकार" है.. नंगे #पांव गुब्बारे #बेचता, "देखो #बचपन लाचार #है"... 💔
नितिन कुमार 'हरित'
इंसान हूँ, मगर आम हूँ, जुनून बेचता हूँ । मैं चंद सुकून के लिए, सुकून बेचता हूँ ।। दो पल आराम के लिये, हर रोज़ निकलता हूँ, बिखरता हूँ, समेटता हूँ, जमता हूँ, पिघलता हूँ । यूँ तो हर रोज़ हारता हूँ, पर हार नहीं मानता हूँ, छुप छुप कर टूटता हूँ, बस मैं ही जानता हूँ । मैं आम हूँ, बस इतनी ही मेरी पहचान है ,
B.L Parihar
मुफ़लिसी में अपना खव्वाब बेचता हूं, ख़ारों के बीच गुलाब बेचता हूं । हाक़िमों ने चढ़ा रक्खा है भ्रष्ट चश्मा, मैं कोर्ट के आगे शराब बेचता हूं । चुनाव क्या है? पैसे का कारोबार है, आ जा कुर्सीयों का हिसाब बेचता हूं । सुख-चैन छीन कर कह उठा यह शहर, मैं मगरूरियत का ख़िताब बेचता हूं। #बेचता हू
#yenksingh
पालक नदी के घाट पे एक भीड़ भरे हाट में साग बेचता एक बालक पूछा मैंने,”है क्या पालक?” बोला वो बड़े विराग से शब्दों में कुछ गूढ़ राग से पालित हूँ, यही मेरा सुभाग। “पालक”होता तो बेचता नहीं साग। -©नवल किशोर सिंह पालक
Akash Rathod
वो खबर बेचता है कभी वो अखबार बेचता है! वो घर का मुखिया अपना भी किरदार बेचता है! #nojoto #nojotohindi #pita #ghar #sachai
Sunidhi Rai
#OpenPoetry व्हमी अंसियत की कहानी जो उठे हैं सवाल मेरी इन मज़हबी बातों पर, तो आज चलो मैं तुम्हे ये भी बतलाए देता हूं। की ना मैं दर्द बेचता हूं और ना सुकूं, मैं तो बस जीने का जुनून बेचता हूं।। अब वो अंधे जमघट की तरह मेरी बातों से इख्तियार करते हैं, तो उसमे आखिर हमारा क्या दोष? मेंने उसे मोहब्बत बेची या बेचा नफ़रत का संदेश, क्या इस बात का इल्म आखिर उसे नहीं होना चाहिए था।।। क्यूंकि हमने तो बस वही बेचा जो हमें ठीक लगा, फिर वो क़ुरान का ज़िक्र हो या गीता का सार, गुरुओं की बानी हो या बाइबिल का आधार। क्युकी मैने समझा इन लिखावटों को भी उसी तरह, जिस तरह किसी कहानी की किताब में मेरी सोच चलती है; ऊपर वाला तुम्हारी वफ़ा का सबूत चाहता है ये बात तो घर घर में बिकती है।। वही सब मैं बेचूंगा जो मेरे जी में आएगा, इन सब में कोई ऐसा कहां जो मुझे ग़लत बतलाएगा। क्यूंकि अगर मुझ पर जो अंगशत उठी,क्या वो अपनो के ही हाथों ना मारा जाएगा।। तुम चंद मुठ्ठी लोग,जो बातों से मेरी राब्ता नहीं रखते। आखिर क्या बिगाड़ लोगे तुम,क्यूंकि बाकियों पर तो में वेताल बनके बैठा हूं, मेरे उन्हें छोड़ने पर भी वो मेरे पास दौड़े चले आते हैं।।।। #OpenPoetry #nationalism #national #lovepoem #worldpeace #poetry #hindipoetry #independencedayspecial #lovenation #livehappy #livepeaceful #loveall #happy #life #poem #hindipoetry #urdupoetry #wordporn #speakurrlfout
Rakesh Kumar Dogra
ज़हर को ज़हर मारता है कुछ होश की दवा कर ना, उसका क्या करें जो रोटी की खातिर नशे बेचता है। दरअसल कीमत तो बीमारी की है दवा की नहीं है, अच्छे भले को, भला कोई दवा बेचता है।