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शीर्षक:::::शब्द शब्द की बात ना करियो, ये निर्मल ह

शीर्षक:::::शब्द

शब्द की बात ना करियो,
ये निर्मल है, निश्चल है, 
इसकी धरा मजबूत है,
जिसपे टिका संसार,
मामूली अंतर पर आ जाता है इनमें विकार,
शब्द है, जैसे कोई बाण, 
क्या नहीं है,शब्द,
शब्द शीप के भीतर की मोती है,
चमचमाति विभूति है,
वो जो चरणों में ला दे राक्षस को,
वो जो कर दे सफ़ल जीवन को, 
वो जो निर्धन की भी है उतनी,
जितनी की धनिक सेठों की,
मज़दूरों की,कामगारों की,
उतनी ही किसानों की,नेताओं की, 
वो जो सबको जोड़े,
वो जो पल में बन जाए कारण युद्ध का,
शब्दों की बात ना करियो,
कहीं लिखे, कहीं पढ़ें, कहीं बोलें,
हर धरातल पर है इसके अर्थ,
मानव,
शब्दों का ही तो कर्ज़दार है,
जिनको जाप मिले है,उसको स्वर्ग, 
और ग़लत इस्तेमाल पर अभिशाप,
उन्मत,उध्रित,शब्दों से,
कल्पित,यथार्थ,शब्दों से,
किरणों की माला,
बरगद की छाया है शब्द, 
शब्दों में बड़ी चुनौती है,
शब्दों में कई नीति है,
शब्दों से ही संविधान,
शब्दों का ही ज़मीं-आसमान,
शब्द अतीत था, आज है और कल भी होगा।

✍mahfuz nisar © #message शीर्षक:::::शब्द

शब्द की बात ना करियो,
ये निर्मल है, निश्चल है, 
इसकी धरा मजबूत है,
जिसपे टिका संसार,
मामूली अंतर पर आ जाता है इनमें विकार,
शब्द है, जैसे कोई बाण,
शीर्षक:::::शब्द

शब्द की बात ना करियो,
ये निर्मल है, निश्चल है, 
इसकी धरा मजबूत है,
जिसपे टिका संसार,
मामूली अंतर पर आ जाता है इनमें विकार,
शब्द है, जैसे कोई बाण, 
क्या नहीं है,शब्द,
शब्द शीप के भीतर की मोती है,
चमचमाति विभूति है,
वो जो चरणों में ला दे राक्षस को,
वो जो कर दे सफ़ल जीवन को, 
वो जो निर्धन की भी है उतनी,
जितनी की धनिक सेठों की,
मज़दूरों की,कामगारों की,
उतनी ही किसानों की,नेताओं की, 
वो जो सबको जोड़े,
वो जो पल में बन जाए कारण युद्ध का,
शब्दों की बात ना करियो,
कहीं लिखे, कहीं पढ़ें, कहीं बोलें,
हर धरातल पर है इसके अर्थ,
मानव,
शब्दों का ही तो कर्ज़दार है,
जिनको जाप मिले है,उसको स्वर्ग, 
और ग़लत इस्तेमाल पर अभिशाप,
उन्मत,उध्रित,शब्दों से,
कल्पित,यथार्थ,शब्दों से,
किरणों की माला,
बरगद की छाया है शब्द, 
शब्दों में बड़ी चुनौती है,
शब्दों में कई नीति है,
शब्दों से ही संविधान,
शब्दों का ही ज़मीं-आसमान,
शब्द अतीत था, आज है और कल भी होगा।

✍mahfuz nisar © #message शीर्षक:::::शब्द

शब्द की बात ना करियो,
ये निर्मल है, निश्चल है, 
इसकी धरा मजबूत है,
जिसपे टिका संसार,
मामूली अंतर पर आ जाता है इनमें विकार,
शब्द है, जैसे कोई बाण,
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Mahfuz nisar

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