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ये कत्थई सी काली आँखे तुम्हारी ।। ये गुलाबी होठों

ये कत्थई सी काली आँखे तुम्हारी  ।।
ये गुलाबी होठों की मुन मुन मुस्कुराट तुम्हारी ।।
ये झूमते खुले गनें बाल ।।
देख कर मैं  पिगल जाता हूँ ।।
यही तों वों चेहरा है  ।।
जहाँ हर दफ़ा मैं फिसल जाता हूँ ...!!

©विपिन सेवक " #shyari
ये कत्थई सी काली आँखे तुम्हारी  ।।
ये गुलाबी होठों की मुन मुन मुस्कुराट तुम्हारी ।।
ये झूमते खुले गनें बाल ।।
देख कर मैं  पिगल जाता हूँ ।।
यही तों वों चेहरा है  ।।
जहाँ हर दफ़ा मैं फिसल जाता हूँ ...!!

©विपिन सेवक " #shyari