हम अपनी वासनओ क़े जगत में जीते हैँ और उस वासना क़े फैलाव से हम चीज़ों को देखते हैं पहचानते हैँ हमारी आँख चुन रही हैं हमारे कानचुन रहे हैँ और हमारा मन चुन रहा हैं ©Parasram Arora वासनाओ का जगत.....