Regret उससे ग़र दोबारा मिले तो उसी के हो जाएंगे क्या गिले,क्या शिक़वे खुशी से हो जाएंगे इस बार नही होगा कोई बहस,तर्क-वितर्क हम उसके सज़दे में खामोशी से हो जाएंगे गुज़र नामुमकिन है उसके बगैर वो बांध भी ले तो मवेशी सा हो जाएंगे उसके नज़रो में रहे,उसके इशारो पर चले हम तो उसके लिए नुमायशी सा हो जाएंगे ले जाये वो मुझे बहाकर कही भी गंगा की गोद मे काशी सा हो जाएंगे ©क्षत्रियंकेश मवेशी!