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दी तो तब भी थी नारी ने अग्नि परीक्षा और आज भी दी


दी तो तब भी थी नारी ने अग्नि परीक्षा और आज भी दी हैं,बदला न ये संसार हैं,
आज भी बाँध देता समाज का पहरेदार पैरों में बेडियाँ, आज भी वहीं संस्कार हैं,
तिल तिल कर जीती है मार निज ख्वाहिशों को,होता नारी का नित तिरस्कार हैं,
न जाने क्यों भूल जाते हो ये ही जगजननी होती हैं,देती समाज को आधार हैं। 🎀 Challenge-377 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।

दी तो तब भी थी नारी ने अग्नि परीक्षा और आज भी दी हैं,बदला न ये संसार हैं,
आज भी बाँध देता समाज का पहरेदार पैरों में बेडियाँ, आज भी वहीं संस्कार हैं,
तिल तिल कर जीती है मार निज ख्वाहिशों को,होता नारी का नित तिरस्कार हैं,
न जाने क्यों भूल जाते हो ये ही जगजननी होती हैं,देती समाज को आधार हैं। 🎀 Challenge-377 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 Challenge-377 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों अथवा 40 शब्दों में अपनी रचना लिखिए। #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #अग्निपरीक्षा #कोराकाग़ज़