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हर कोई करता है आलोचना,, हर कार्य की होती है आलोचना

हर कोई करता है आलोचना,,
हर कार्य की होती है आलोचना,,
आलोचनाओं से डरना केसा,,
आलोचना के बारे मे सोचना केसा,
आलोचना ना होगी तो बिखर जाऊंगा,
आलोचना होगी तो औऱ भी निखर जाऊंगा,,
आलोचना अग्नि सी तपा रही मूझे, देखना मे 
कुंदन हो जाऊंगा, डर गया तो राख
लड़ गया इससे तो  चंदन हो जाऊंगा,,,
आलोचनाओं मे जितना  तप रहा
 उतनी शख्सियत निखर रही है,,
आलोचनाओं से  अगर  डर गया,
अपने लक्ष्य से उसी वक्त  समझो भटक गया,
आलोचक हमारी कमी को दूर करे वो शिक्षक है,
सफलता की राह मे  व्यवधान से
बचाए जो ऐसे वे रक्षक है,,,
ये दुनिया यहा कोई क़िसी से संतुष्ट नही,
चलते चलो यु समझो  जेसे कोई रुष्ट नही,,
आँखे खुली रखो,कान कर लो बंद,
आलोचना को करके  दरकिनार
जियो ऐसे  जो तुम्हे हो पसंद,,,
मौसम को भी ना छोडे सर्दी गर्मी बरसात  को भी कोसे,,
अल्प हो तो भी दुःखी, अति हो तो भी दुःखी,,
धन धान्य से भरे राज्य मे  प्रजा भी क़हा सुखी,,
मानव यहा क़िसी से संतुष्ट नहीना
अपने जीवन से ना अपने मन से,,
आलोचनाओ से गहरा रिश्ता जोड़ रखा है,
काम ना करने वालो ने इसे अपना अस्त्र चुन रखा है,
करे जो काम कोई तो उसकी औऱ मोड़ रखा है,,
आलोचना आलोचना इसके बारे मे क्या सोचना,,
जीवन के हर मोड़ पर मिलेगी जिसने इसे
भय बना लिया उसे शूल सी चुभेगी,
जिसने इसे जीवन का हार  बना लिया
उसके लिऐ  फ़ूल सी खिलेगी,,,
ये आलोचना  शत्रु औऱ मित्र दोनो समान,,
डरो ना इससे कमी दूर करो पाओगे जीवन भर सम्मान,,,

✍️नितिन कूवादे.

©Nitin Kuvade #steps
हर कोई करता है आलोचना,,
हर कार्य की होती है आलोचना,,
आलोचनाओं से डरना केसा,,
आलोचना के बारे मे सोचना केसा,
आलोचना ना होगी तो बिखर जाऊंगा,
आलोचना होगी तो औऱ भी निखर जाऊंगा,,
आलोचना अग्नि सी तपा रही मूझे, देखना मे 
कुंदन हो जाऊंगा, डर गया तो राख
लड़ गया इससे तो  चंदन हो जाऊंगा,,,
आलोचनाओं मे जितना  तप रहा
 उतनी शख्सियत निखर रही है,,
आलोचनाओं से  अगर  डर गया,
अपने लक्ष्य से उसी वक्त  समझो भटक गया,
आलोचक हमारी कमी को दूर करे वो शिक्षक है,
सफलता की राह मे  व्यवधान से
बचाए जो ऐसे वे रक्षक है,,,
ये दुनिया यहा कोई क़िसी से संतुष्ट नही,
चलते चलो यु समझो  जेसे कोई रुष्ट नही,,
आँखे खुली रखो,कान कर लो बंद,
आलोचना को करके  दरकिनार
जियो ऐसे  जो तुम्हे हो पसंद,,,
मौसम को भी ना छोडे सर्दी गर्मी बरसात  को भी कोसे,,
अल्प हो तो भी दुःखी, अति हो तो भी दुःखी,,
धन धान्य से भरे राज्य मे  प्रजा भी क़हा सुखी,,
मानव यहा क़िसी से संतुष्ट नहीना
अपने जीवन से ना अपने मन से,,
आलोचनाओ से गहरा रिश्ता जोड़ रखा है,
काम ना करने वालो ने इसे अपना अस्त्र चुन रखा है,
करे जो काम कोई तो उसकी औऱ मोड़ रखा है,,
आलोचना आलोचना इसके बारे मे क्या सोचना,,
जीवन के हर मोड़ पर मिलेगी जिसने इसे
भय बना लिया उसे शूल सी चुभेगी,
जिसने इसे जीवन का हार  बना लिया
उसके लिऐ  फ़ूल सी खिलेगी,,,
ये आलोचना  शत्रु औऱ मित्र दोनो समान,,
डरो ना इससे कमी दूर करो पाओगे जीवन भर सम्मान,,,

✍️नितिन कूवादे.

©Nitin Kuvade #steps
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Nitin Kuvade

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