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तेरी सांसों की गर्मी से मैं लावा बन पिघल जाऊं हुसन

तेरी सांसों की गर्मी से मैं लावा बन पिघल जाऊं
हुसन की आखिरी हद तुम ये कैसे कहूं तुझे चाहूं
है दिल की आरजू तिल सी
ना पाऊं तो मर जाऊं
प्यार कि चासनी हो तुम
मैं मावा बनके मिल जाऊं

©Ved Parkash
  sahil ludhianvy Happy Jain  Amit Kumar