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एक धुन मे निकल आए घर से ना जाने मन मे कैसी उद्वेगत

एक धुन मे निकल आए घर से
ना जाने मन मे कैसी उद्वेगता थी, 
कुछ पाने की इच्छा थी
कुछ कर गुजरने की चाह थी,
सबकुछ पाया दिल को शुकून आया
पर कुछ खोने की जैसी टीस
'मधुकर' दिल मे लगी हुई थी,
सहसा ख्याल आया मैने सबकुछ तो पाया 
पर सबकुछ पाने की लालसा मे 
अपनी जमीर को कहीं बेच आया,
अपनी जमीर को कहीं बेच आया ।
---मधुकर  सुप्रभात।
घर से निकल आते हैं वो जिनके दिल में जज़्बा होता है कुछ कर दिखाने का, कुछ पाने का।
#एकधुनमें #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
एक धुन मे निकल आए घर से
ना जाने मन मे कैसी उद्वेगता थी, 
कुछ पाने की इच्छा थी
कुछ कर गुजरने की चाह थी,
सबकुछ पाया दिल को शुकून आया
पर कुछ खोने की जैसी टीस
'मधुकर' दिल मे लगी हुई थी,
सहसा ख्याल आया मैने सबकुछ तो पाया 
पर सबकुछ पाने की लालसा मे 
अपनी जमीर को कहीं बेच आया,
अपनी जमीर को कहीं बेच आया ।
---मधुकर  सुप्रभात।
घर से निकल आते हैं वो जिनके दिल में जज़्बा होता है कुछ कर दिखाने का, कुछ पाने का।
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