हर पल बिखरती जा रही मैं कुछ टूट रहा मुझमें, कुछ छूट रहा मुझसे। जाने क्यों लोग समझ नही पाते मुझे जाने क्या मैं समझा नहीं पाती सबको। शायद मेरे वजूद का कोई महत्व नहीं। शायद मैं किसी के काबिल नही। अब मेरे सब्र की हद टूट रही मैं खुद से भी छूट रही बहुत कोशिश कर रही समेटने की। शायद मेरे जीवन का अंत निकट आ गया। शायद अलविदा कहने का वक्त आ गया। #अन्त_जीवन_का_सार