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संभाला बहुत रिश्तों को पर कभी संभाल नहीं पाये, खोज

संभाला बहुत रिश्तों को
पर कभी संभाल नहीं पाये,
खोजा भी बहुत पर
ख़ुद को खोज नहीं पाये,
आसाँ लगा जिन्दा रहना
पर जिन्दा रह नहीं पाये,
यहीं थी दास्तान मेरी
इस अधूरी ज़िन्दगी को 
कभी पूरा कर न पाये....

©Jai Pathak
  #अधूरा