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सब को धीरे धीरे मरना पड़ता है आप चाहे क़ाबू में कर

सब को धीरे धीरे मरना पड़ता है 
आप चाहे क़ाबू में कर लें अपने आवेगों को 
या फिर बह जाने दें प्रेम के समंदर में 
अपनी मचलती भावनाओं को 
आप चाहे हो लें दुखी दूसरों के दुःख से 
या बने रहें खुद में सिमटे, म्लान, विमुख से 
वक़्त का दरिया तो एक दिन समंदर में गिरेगा 
रुक जाना है समय पे आपकी धड़कनों को 
सब को धीरे धीरे मरना पड़ता है

~राज़ नवादवी
सब को धीरे धीरे मरना पड़ता है 
आप चाहे क़ाबू में कर लें अपने आवेगों को 
या फिर बह जाने दें प्रेम के समंदर में 
अपनी मचलती भावनाओं को 
आप चाहे हो लें दुखी दूसरों के दुःख से 
या बने रहें खुद में सिमटे, म्लान, विमुख से 
वक़्त का दरिया तो एक दिन समंदर में गिरेगा 
रुक जाना है समय पे आपकी धड़कनों को 
सब को धीरे धीरे मरना पड़ता है

~राज़ नवादवी
raznawadwi7818

Raz Nawadwi

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