इंसान की फितरत भी कमाल है, उम्र भर दौलत के पीछे भागता है पर उसे स्कून की तलाश है ..... अपनी भूख से ज्यादा पाने को , अपने बच्चों के बच्चों के लिए जोड़ने-कमाने को, दौलत के पीछे मिट्टी-मिट्टी हुआ जाता है उसको पता है जल्द ही उसका हश्र मिट्टी है , फिर अभी से क्यों ज़िन्दा लाश है .... स्कून जब चाहिए ही नहीं , न जाने फिर क्यों उसे स्कून की तलाश है ? इंसान की ज़िंदगी भर की भागदौड का बस यही सारांश है ........ Saransh