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हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, बीच मझधार में ना छोड़

हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, बीच मझधार में ना छोड़ तू ये सफ़र
दामन छुड़ा कर गया तू जो ग़र 
बेज़ान हो जाएंगी मेरी शायरी के हर एक लफ़्ज़
हश्र मेरी शायरी का तू यूँ न कर..! #शायरी #मझधार #बेज़ान
हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, बीच मझधार में ना छोड़ तू ये सफ़र
दामन छुड़ा कर गया तू जो ग़र 
बेज़ान हो जाएंगी मेरी शायरी के हर एक लफ़्ज़
हश्र मेरी शायरी का तू यूँ न कर..! #शायरी #मझधार #बेज़ान