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मन नेहिल बूँदों में भींगा, भींग रहा जग सारा।  सावन

मन नेहिल बूँदों में भींगा, भींग रहा जग सारा। 
सावन का घन बनकर आजा, साजन मेरा प्यारा।
प्रेम नगर का तू ही राजा, जोगन हूंँ मैं तेरी, 
पावन हो गया मन अंगना, जीवन निज संवारा।।

©Dr Usha Kiran
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