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नारी सब पर रहथिन भारी खूब उड़ाबय छै सब घर्बारिक कोन

नारी सब पर रहथिन भारी
खूब उड़ाबय छै सब घर्बारिक
कोनो और नै छै चारा। 
किछ चाही त तैयो देथिन पुकारा 
भेट जाए सब त देथिं ललकार।
पुरुष प्रधान के लगल छै नारा
लेकिन घर आंगन म पुजये छैथ काली।
नव दुर्गा के वर्ष म एक बेर धुआए छथ गोर
फेर धितकारये किया छैथ नारी के चारो छोड़। #मैथिली
नारी सब पर रहथिन भारी
खूब उड़ाबय छै सब घर्बारिक
कोनो और नै छै चारा। 
किछ चाही त तैयो देथिन पुकारा 
भेट जाए सब त देथिं ललकार।
पुरुष प्रधान के लगल छै नारा
लेकिन घर आंगन म पुजये छैथ काली।
नव दुर्गा के वर्ष म एक बेर धुआए छथ गोर
फेर धितकारये किया छैथ नारी के चारो छोड़। #मैथिली