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चाहत सूरज की हो या चांद की मिलती सिर्फ़ हाथों की क

चाहत सूरज की हो या चांद की
मिलती सिर्फ़ हाथों की कुछ लकीरे
जो वक्त के साथ मिट जाती है
और वह कहते है जो लिखा हो
वहीं मिलेगा.....।

©मुसाफिर
  #चाहते