गीत :- ठान लिया जो मन में अपने , करके वह दिखलाना है । हमको चंदा सूरज से भी , आगे बढ़ते जाना है ।। ठान लिया जो मन में अपने ..... नया-नया है खून हमारा , जोश अभी भी पूरा है । जब तक साँसें हार न मानूँ , सारा काम अधूरा है ।। मुझको अपनी मंजिल पर अब , सुनों समय से जाना है । जीवन भर साहस की हमको , उँगली थामें जाना है ।। ठान लिया जो मन में अपने .... मैं किसान सुत माता धरती , का सुन लो रखवाला हूँ । इस धरती पर जन्म लिया , इस पर मिटने वाला हूँ ।। धर्म-कर्म की बातें जिसमें , गीत वही अब गाना है । सोए जो अब तक है भाई , उन्हे जगाने जाना है ।। ठान लिया जो मन में अपने .... दम हो जिसमें आँख उठाये , सीने पर भारत माँ के । उसको छठवाँ याद दिलाऊँ , कसम आसमां की खाके ।। वह वीर हमारे वंशज है , उनको याद दिलाना है । भारत माता की खातिर कल , हमको शीश चढ़ाना है ठान लिया जो मन में अपने .... ठान लिया जो मन में अपने ,करके वह दिखलाना है । हमको चंदा सूरज से भी , आगे बढ़ते जाना है ।। २६/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- ठान लिया जो मन में अपने , करके वह दिखलाना है । हमको चंदा सूरज से भी , आगे बढ़ते जाना है ।। ठान लिया जो मन में अपने ..... नया-नया है खून हमारा , जोश अभी भी पूरा है । जब तक साँसें हार न मानूँ , सारा काम अधूरा है ।।