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मिल बैठेंगे जो हम दोनों एक रोज तो ये बादा वफ़ा करे

मिल बैठेंगे जो हम दोनों एक रोज तो ये बादा वफ़ा करेंगे
तुमसे कहने बाली हर बात को तुम्हारी बाहों में लिपट कर बयां करेंगे
तुम पर गुजरी जो हमारे हिज़्र में वो हर बात मुकम्मल कर लेना 
अब तक की सारी मजबूरियों को हम ढलते सूरज के साथ विदा करेगें

©Azhar Raza shabnam akhter KrishnaSharma Rajeev Ranjan SS THAKUR
मिल बैठेंगे जो हम दोनों एक रोज तो ये बादा वफ़ा करेंगे
तुमसे कहने बाली हर बात को तुम्हारी बाहों में लिपट कर बयां करेंगे
तुम पर गुजरी जो हमारे हिज़्र में वो हर बात मुकम्मल कर लेना 
अब तक की सारी मजबूरियों को हम ढलते सूरज के साथ विदा करेगें

©Azhar Raza shabnam akhter KrishnaSharma Rajeev Ranjan SS THAKUR
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Azhar Raza

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