green-leaves "सब अजनबी हैं, तेरे नाम से जाने मुझको, पढ़ने वाला नहीं, लिखने को बचा ही क्या है। ये भी सच है कि मेरा नाम आशिकों में नहीं, बनके दीवाना तेरा, उछलने में रखा ही क्या है। तू ही तू था कभी, अब मैं भी ना रहा, वो जलवा भी नहीं मिटने को बचा ही क्या है। मरना बाकी है तो, मर भी जायेंगे एक दिन, सुनने बाला नहीं, कहने को बचा ही क्या है। " ©Aman Majra #GreenLeaves ਸਫ਼ਰ ਸ਼ਾਇਰੀ