हमे और वक़्त देते तो हम निखर जाते, हाँ ये भी सच है कि और बिखर जाते, किस मजलिस में लाकर छोड़ा गया है, जो बे-मन से उठते भी तो किधर जाते! किसी रुई के कफ़स बंधे रहे उम्र भर, जंजीर जो लोहे की होती तो घर जाते! तुम क्या करोगे मेरा सौदा इस मुफ़लिसी में, बेशुमार होते तो किसी ताजिर के शहर जाते! क़ब्र में पड़ा मुसाफ़िर कह पड़ा फिर से, ये दुनिया बदल जाती तो हम ठहर जाते! ताजिर - व्यापारी(bussinessman)