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नमस्कार दोस्तों हाज़िर है मेरी कहानी

 नमस्कार दोस्तों हाज़िर है मेरी कहानी

                                       "सफ़र 

बैचेन होती चिढ के साथ धूल उड़ाती हुई ज़मीन बूंदो की छुअन पाते ही शांत हो गयी थी l अब न फिज़ाओ मे रुखापन था और ना गर्मी से जलन l अब सिर्फ बौछार थी जो घने बादलो मे से होकर बिना कुछ मांगे मिट्टी मे मिल रही थी l स्टेशन की ओर जाते हुए त्रिपाठी जी की निगाह एक छज्जे के पास ठिठक गयी l वह बरसात से बचते बचाते हुए उस छज्जे की आड़ मे आ गए थे l अभी ट्रैन छूटने मे वक़्त था इसीलिए उन्हें पूरा यकीन था की वह समय रहते स्टेशन पर पहुँच जाएंगे l लगभग 10 मिनट बाद बारिश की गति धीमी हुई तो त्रिपाठी जी भी स्टेशन की ओर रवाना हुए l पेशे से बकील त्रिपाठी जी तेजी से स्टेशन की सीढियां चढ़ रहे थे l सीढ़ियां चढ़ते हुए ओर छोटा सा पुल पार करते हुए त्रिपाठी जी प्लेटफार्म नम्बर 4 पर पहुँच गए, जहाँ से उन्हें लखनऊ एक्सप्रेस पकड़नी थी l त्रिपाठी जी ने कन्फर्म रिजर्वेशन टिकट का प्रिंट आउट निकाला और अपना कोच नम्बर चेक करने लगे और अंदाजा लगाना लगे कि उनकी A.C. क्लास 2 का डिब्बा किधर आ सकता है l शाम के छह बज रहे थे दिल्ली से लखनऊ जाने बाली एक्सप्रेस जाने के लिए तैयार थी l

Second A. C. के डिब्बे मे लगी सीटों मे से एक पर बैठे थे,  सुधीर त्रिपाठी जी, उम्र 55 साल, मोटे चश्मे मे अंग्रेजी अखबार पढ़ रहे त्रिपाठी साहब दिल्ली हाईकोर्ट मे बकील थे l उनको जानने बाले कहते थे कि तबियत से वो काफी रंगीन मिज़ाज़ थेl गाडी चलना शुरू हुई थी कि सामने बाली सीट पर एक लड़की आकर बैठी l boycut hairstyle वाले उस चेहरे पर चोट का एक पुराना निशान था l वो ख़ामोशी से अपनी सीट पर बैठ गयी और किताब पढ़ने लगी l त्रिपाठी साहब ने उसे देखा और मुस्कुराकर बोले, "hii ! I am sudhir tripathi". वो जवाब मे सिर्फ मुस्कुराई और बापिस अपनी किताब पढ़ने लगी l वो फिर बोले कि मैं हाईकोर्ट मे सीनियर लॉयर हूं l इस बार उन्हें कोई जवाब नहीं मिला l आप टीचर हैं ना, त्रिपाठी साहब ने तीसरी बार बात करने की कोशिश की पर उस लड़की ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया l लेकिन त्रिपाठी जी इतनी जल्दी हार मानने बाले नहीं थे l इस बार जरा आगे बढ़ते हुए बोले, काफी खूबसूरत हैं आप ; किताब पढ़ रही लड़की ने इस बार चेहरा उठाया तो चेहरे पर गुस्सा था l Excuse me, आखिर आपको परेशानी ; लड़की अपनी बात पूरी करती उससे पहले त्रिपाठी साहब का फ़ोन बज गया l उन्होंने कॉल रिसीव कीl हाँ, थैंक्यू शशि ये केस जीतना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी l ऐसे केस तो मैं दो मिनट मे निपटा लेता हूं l सिंपल सी बात है बकील को पता हो कि clint सही है तो वह कॉंफिडेंट होकर जज के सामने दलीले पेश कर सकता है l फिर सामने बैठी लड़की की और देखकर बोले और फिर हम तो चेहरा देखकर दिल का हाल बता देते हैं l
 त्रिपाठी जी काफी देर तक फ़ोन पर बात करते रहे l उनकी बातो से तो ऐसा लग रहा था कि कॉल शशि नाम कि उस लड़की का था जिसकी तरफ से त्रिपाठी जी ने मुकदमा लड़ा था l इस लड़की ने आकाश गुप्ता नाम के अपने बॉयफ्रेंड पर केस लगाया था कि उसने उसका ना केवल शारीरिक तौर पर फायदा उठाया बल्कि धोखा भी दिया l त्रिपाठी साहब ने अपनी दलीलों और चेहरा पढ़कर दिल का हाल जानने वाले तरीको से आकाश को दोषी साबित कर दिया था l वो फ़ोन पर बात कर ही रहे थे कि T. T. आ गया और चार्ट पर टिक लगाते हुए बोला, मिस्टर सुधीर त्रिपाठी ; ओके and प्रोफेसर रजनी शर्मा l आप लोगो के पास id card है ना, वो लड़की कुछ कहने ही वाली थी कि T. T. बोला, "ठीक है, रखे रहिये और आगे बढ़ गया | प्रोफेसर रजनी शर्मा नाम सुनकर त्रिपाठी जी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी l उनका guess कि सामने बैठी लड़की टीचर है ,सही निकला था l रजनी उनको एक टाइम तक टालती रही पर जब लगा कि वो नहीं मानेगे तो किताब को साइड मे रखते हुए और उनकी आँखों मे देखते हुए बोली, हाँ क्या कह रहे थे आप? आप चेहरा देखकर लोगो का हाल बता सकते हैं, राइट ना l वह तय कर चुकी थी कि वह इस परेशानी से भागेगी नहीं बल्कि सामना करेगी l
 नमस्कार दोस्तों हाज़िर है मेरी कहानी

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बैचेन होती चिढ के साथ धूल उड़ाती हुई ज़मीन बूंदो की छुअन पाते ही शांत हो गयी थी l अब न फिज़ाओ मे रुखापन था और ना गर्मी से जलन l अब सिर्फ बौछार थी जो घने बादलो मे से होकर बिना कुछ मांगे मिट्टी मे मिल रही थी l स्टेशन की ओर जाते हुए त्रिपाठी जी की निगाह एक छज्जे के पास ठिठक गयी l वह बरसात से बचते बचाते हुए उस छज्जे की आड़ मे आ गए थे l अभी ट्रैन छूटने मे वक़्त था इसीलिए उन्हें पूरा यकीन था की वह समय रहते स्टेशन पर पहुँच जाएंगे l लगभग 10 मिनट बाद बारिश की गति धीमी हुई तो त्रिपाठी जी भी स्टेशन की ओर रवाना हुए l पेशे से बकील त्रिपाठी जी तेजी से स्टेशन की सीढियां चढ़ रहे थे l सीढ़ियां चढ़ते हुए ओर छोटा सा पुल पार करते हुए त्रिपाठी जी प्लेटफार्म नम्बर 4 पर पहुँच गए, जहाँ से उन्हें लखनऊ एक्सप्रेस पकड़नी थी l त्रिपाठी जी ने कन्फर्म रिजर्वेशन टिकट का प्रिंट आउट निकाला और अपना कोच नम्बर चेक करने लगे और अंदाजा लगाना लगे कि उनकी A.C. क्लास 2 का डिब्बा किधर आ सकता है l शाम के छह बज रहे थे दिल्ली से लखनऊ जाने बाली एक्सप्रेस जाने के लिए तैयार थी l

Second A. C. के डिब्बे मे लगी सीटों मे से एक पर बैठे थे,  सुधीर त्रिपाठी जी, उम्र 55 साल, मोटे चश्मे मे अंग्रेजी अखबार पढ़ रहे त्रिपाठी साहब दिल्ली हाईकोर्ट मे बकील थे l उनको जानने बाले कहते थे कि तबियत से वो काफी रंगीन मिज़ाज़ थेl गाडी चलना शुरू हुई थी कि सामने बाली सीट पर एक लड़की आकर बैठी l boycut hairstyle वाले उस चेहरे पर चोट का एक पुराना निशान था l वो ख़ामोशी से अपनी सीट पर बैठ गयी और किताब पढ़ने लगी l त्रिपाठी साहब ने उसे देखा और मुस्कुराकर बोले, "hii ! I am sudhir tripathi". वो जवाब मे सिर्फ मुस्कुराई और बापिस अपनी किताब पढ़ने लगी l वो फिर बोले कि मैं हाईकोर्ट मे सीनियर लॉयर हूं l इस बार उन्हें कोई जवाब नहीं मिला l आप टीचर हैं ना, त्रिपाठी साहब ने तीसरी बार बात करने की कोशिश की पर उस लड़की ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया l लेकिन त्रिपाठी जी इतनी जल्दी हार मानने बाले नहीं थे l इस बार जरा आगे बढ़ते हुए बोले, काफी खूबसूरत हैं आप ; किताब पढ़ रही लड़की ने इस बार चेहरा उठाया तो चेहरे पर गुस्सा था l Excuse me, आखिर आपको परेशानी ; लड़की अपनी बात पूरी करती उससे पहले त्रिपाठी साहब का फ़ोन बज गया l उन्होंने कॉल रिसीव कीl हाँ, थैंक्यू शशि ये केस जीतना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी l ऐसे केस तो मैं दो मिनट मे निपटा लेता हूं l सिंपल सी बात है बकील को पता हो कि clint सही है तो वह कॉंफिडेंट होकर जज के सामने दलीले पेश कर सकता है l फिर सामने बैठी लड़की की और देखकर बोले और फिर हम तो चेहरा देखकर दिल का हाल बता देते हैं l
 त्रिपाठी जी काफी देर तक फ़ोन पर बात करते रहे l उनकी बातो से तो ऐसा लग रहा था कि कॉल शशि नाम कि उस लड़की का था जिसकी तरफ से त्रिपाठी जी ने मुकदमा लड़ा था l इस लड़की ने आकाश गुप्ता नाम के अपने बॉयफ्रेंड पर केस लगाया था कि उसने उसका ना केवल शारीरिक तौर पर फायदा उठाया बल्कि धोखा भी दिया l त्रिपाठी साहब ने अपनी दलीलों और चेहरा पढ़कर दिल का हाल जानने वाले तरीको से आकाश को दोषी साबित कर दिया था l वो फ़ोन पर बात कर ही रहे थे कि T. T. आ गया और चार्ट पर टिक लगाते हुए बोला, मिस्टर सुधीर त्रिपाठी ; ओके and प्रोफेसर रजनी शर्मा l आप लोगो के पास id card है ना, वो लड़की कुछ कहने ही वाली थी कि T. T. बोला, "ठीक है, रखे रहिये और आगे बढ़ गया | प्रोफेसर रजनी शर्मा नाम सुनकर त्रिपाठी जी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी l उनका guess कि सामने बैठी लड़की टीचर है ,सही निकला था l रजनी उनको एक टाइम तक टालती रही पर जब लगा कि वो नहीं मानेगे तो किताब को साइड मे रखते हुए और उनकी आँखों मे देखते हुए बोली, हाँ क्या कह रहे थे आप? आप चेहरा देखकर लोगो का हाल बता सकते हैं, राइट ना l वह तय कर चुकी थी कि वह इस परेशानी से भागेगी नहीं बल्कि सामना करेगी l

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