भगदड़ आँख मूँद कर लोग भागते, होते ही कोई गड़बड़! तनिक धैर्य से कम न लेते, तब मचती है भगदड़! तभी आग में घी उड़ेलती, है कातिल अफवाह! कुछ ही पलों में पूरी होती, उसके मन की चाह! अफवाहें हैं तीव्र फैलतीं, जैसे वन की आग! उनको सुनकर लोग भागते, होकर शून्य दिमाग! अगर धैर्य से काम वो लेते, मुश्किल बला भी टलती! डाले प्राणों को खतरे में, इक छोटी सी गलती! जाने कितने निरपराध हैं, गिरकर रौंदे जाते! जो बच जाते वो आजीवन, गलती पर पछताते! बेखुद भगदड़ कभी न होगी, अगर सभी लें ठान! अफवाहें झूठी होतीं हैं, ना दें उनपर ध्यान ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #भगदड़