हमें पनाह देने वाले रहबर के हम कर्जदार हैं गलती हमारी थी जो अपना मान बैठे उनको जो पल दो पल के मेहमान हैं राह में जो दो पल साथ रहे जिंंदगी भर का हमराह कहाँ होता है चल देंगे बंजारों की भीड़ में अगला काफिला जहाँ होता है सब जानकर भी उनको रुख़सत करने के ख्याल से ही हम परेशान हैं अब नहीं मिलेगी उनकी वो पनाह और हम फिरसे बेमकान हैं। -F. f #strangersagain