लू कहां पनाह //////\\\\\\ मैं जो कल था, आज भी वही हूं, कल भी यही रहूंगा। जो सच है, वही कहूंगा। सच पर लडूंगा, सच पर अडिग रहूंगा। कोई साथ रहे ना रहे, मैं, अकेला ही चलूंगा। आज झूठ की दहाड़ है, धोखे बाजो का पहाड़ है। मैं, लूं कहां पनाह, बिखर गए अब मन की चाह। मैं जो कल था, आज भी वही हूं, कल भी यही रहूंगा।। """""""""""""""""""""""""""""" प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #लूं कहां पनाह