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इक शब्द होता है मदद जो अपना होने का एहसास कराता है

इक शब्द होता है मदद
जो अपना होने का एहसास कराता है
आप कितना भी इस भाव को दिखा दीजिए
पर बाद में यही भाव पछतावा कराता है
लोग आज कल नशे में चूर है अपने रुतबे के
भूल जाते है कि वो भी इंसान है
मगर क्या कहें साहिब पैसा मदद की जगह
पराये होने का आभास कराता है
इक शब्द होता है मदद
जो अपना होने का एहसास कराता है

©Brijendra Singh
  madad