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brijendrasingh7049
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Brijendra Singh

rising poet and writer

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Brijendra Singh

हम भारत के वासी
चलें विजय की ओंर
रात चाहे वो काली हो
या नई नवेली भोर
डिगे नहीं कभी पाँव हमारे
चलते रहें बन सबके सहारे
ले मन में उत्साह बढाकर
तन का लगा के जोर
हम भारत के वासी
चलें विजय की ओंर

©Brijendra Singh
  #IndependenceDay
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Brijendra Singh

जब मेरी आस्था थी उस रब में
तब-तब दुख में डूबा रहता था
अब नहीं रहा भरोसा उस पर
जिसको पूजा करता था
ना जाने क्या सही है क्या गलत
पहले भी यही सोचा करता था
पर अब नहीं पड़ता फर्क जरा भी 
जिस डर से जिया करता था
हो जाए कुछ भी देखा जाएगा
क्योंकि बुरा पहले भी हुआ करता था
अब नहीं डर मुझको बिलकुल
जिस डर से रोज डरा करता था

©Brijendra Singh
  #डर
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Brijendra Singh

क्या हुआ आज दूर हैं हम
पर रहेंगे सदा दिल में तब भी
अगर हैं इतनी हिम्मत तुम में
तो हमें भुलाकर दिखाओ

©Brijendra Singh
  #himmat
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Brijendra Singh

कभी-कभी वो पल याद आ जाते हैं हमें 
जो संग तेरे बिताए थे हमने
वो रूठना वो मनाना शर्मा के नजरें झुकना
वो तेरी हंसी के गुब्बारे
जो तेरे गालो में फूल जाया करते थे
पर वो यादें वो पल बहुत सताते हैं हमें
कभी-कभी वो पल याद आ जाते हैं हमें

©Brijendra Singh
  #Yaad
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Brijendra Singh

तन्हा राह में हमसफ़र की जरुरत होती है
साथ चले कोई संग ऐसी हसरत होती है
पर जरुरी नहीं कोई चले मंजिल तक पूरा सदा 
बिछड़ जाते है पुष्प भी डाल से इक दिन
क्योंकि यही ऊपर वाले की कुदरत होती है

©Brijendra Singh
  #kudrat
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Brijendra Singh

कुछ कर्म ऐसे करो कि याद रहो दुआओं में सदा
जीते तो जानवर भी है पर जिओ किसी हमसाए की तरह
लोग जीते है खुद के लिए अक्सर
पर जी कर देखो खुदाई की तरह

©Brijendra Singh
  #Ji
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Brijendra Singh

इस अंधेरे में इक किरन आस की हो तुम
गहरे से समुद्र में नाँव का एहसास हो तुम
तुम हो जो मुझे रास्ता दिखाती हो
तुम हो जो हर पल गुदगुदाती हो
इस पल का ही नहीं वर्षों का उल्लास हो तुम
इस अंधेरे में इक किरण आस की हो तुम

©Brijendra Singh
  #aas
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Brijendra Singh

आज कल उदास है दिल मेरा
जाने किस की आस में है घिरा
दिल की आरजू ये कह रही
हो ना जाऊं कंही मैं फ़ना
आज कल उदास है दिल मेरा
सब्र अब नहीं है बस में मेरे
कब हटेंगे नसीब के अंधेरे
बिगड़ चुका मेरा हर सवेरा
आज कल उदास है दिल मेरा

©Brijendra Singh
  #alone
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Brijendra Singh

कुछ तो सीखो किताबों से
उनमे लिखी इबारतों से
कि क्या कहना चाहती हैं वो
कुछ नया कुछ पुराना
कोई तराना सुनाती हैं वो
गर समझ गए उनका अर्थ
तो समय ना होगा व्यर्थ
तुम्हे तुम बनाना चाहती हैं वो
कुछ तो सीखो किताबों से
उनमे लिखी इबारतों से
कि क्या कहना चाहती हैं वो

©Brijendra Singh
  #Book
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Brijendra Singh

मंजिलों ने भी अब नजरअंदाज कर दिया
छिप गई इस कदर मुझसे वो यंहा
जैसे ना जाने कौन सा मैंने पाप कर दिया 
जिनके लिये ताउम्र चलता रहा मैं
उन्होंने ही मुझे पूरा बर्बाद कर दिया
सफलता अब बस ख्वाब ही बन गई है
वो ख्वाब भी देखना अब हर रात छोड़ दिया
पर सलाह मेरी तुम सभी से है ये दोस्तों
रास्ते खुद बनाओ अपने नहीं तो फिर कहोगे 
कि मैंने भी वो रास्ता छोड़ दिया

©Brijendra Singh
  #manjil
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