Nojoto: Largest Storytelling Platform

धरती रोती है तपती तपती बूंद बूंद बरस जाओ ना! बुल

धरती रोती है तपती तपती
बूंद बूंद बरस जाओ ना! 

बुलाती है वो रोज जलते जलते
आ जाओ बदरा मत तडफाओ ना! 

बुलाते बुलाते वो हारी रह जाती है प्यासी की प्यासी
देर पहले ही बहुत हुई मिलने आ जाओ ना! 

फसल भी जल गयी अब तो फैलीं है उदासी उदासी
कम से कम सबकी गरमी मिटाने आओ ना! 

माँ की औलाद जले तो मा की आत्मा जलती जलती
अब तो इन्हें मत सताओ ना!

©Jyoti Kumari
  #बरसों