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कितना सम्भाल कर रखा है उसके लिखे जज़्बात को काश की

कितना सम्भाल कर रखा है
उसके लिखे जज़्बात को
काश की समझ पाती ओ
खामोश लबों के हालात को।

इक - इक शब्द उसके
आज भी दिल पर राज़ करते हैं
काश समझा पाता मैं ख़ुद को
उससे की हर मुलाकात को।

महसूस किया है दर्द के चुभन को
पास आकर दूर जाता है कोई
निकाल दिया कब का दिल से अपने
निकाल पाता नहीं रागों से ख्यालात को।

ओ college का बहाना
ओ morning walk पर जाना
सब कुछ तो भुला दिया मैंने
करोगे क्या, मुझको पाकर तुम
भुलाऊँ कैसे उसके सवालात को। उसके लिखे जज़्बात को।।
कितना सम्भाल कर रखा है
उसके लिखे जज़्बात को
काश की समझ पाती ओ
खामोश लबों के हालात को।

इक - इक शब्द उसके
आज भी दिल पर राज़ करते हैं
काश समझा पाता मैं ख़ुद को
उससे की हर मुलाकात को।

महसूस किया है दर्द के चुभन को
पास आकर दूर जाता है कोई
निकाल दिया कब का दिल से अपने
निकाल पाता नहीं रागों से ख्यालात को।

ओ college का बहाना
ओ morning walk पर जाना
सब कुछ तो भुला दिया मैंने
करोगे क्या, मुझको पाकर तुम
भुलाऊँ कैसे उसके सवालात को। उसके लिखे जज़्बात को।।