हाँ, मैंने सोचा नहीं; तुम होते तो कैसा होता,, तुम्हारी आँखों में मुझे मेरा अक्स दिखता ही नहीं था,, तुम्हारी बातों में मेरा जिक्र होता ही नहीं था,, तुम्हारी बैचेनियाँ; तुम्हारी परेशनियां,, तुम्हारी धडकनें; तुम्हारी बेताबियाँ,, कुछ भी तो मेरे लिये नहीं थी,, तुम्हारे लबों पर मेरा नाम भी कभी आया नहीं,, तुम्हारी खामोशियों ने मुझे कभी पुकारा नहीं,, तुझे खोने का गम भी गम सरीका नही,, तुझे पाया ही नहीं है तो जाहिर है खोया भी नहीं है,, सुनो,................... चलो छोडो, रहने दो,, ना शिकवा, ना शिकायत,, बस........... याद करना ❤️ याद रहना ©Shilpa ek Shaayaraa हाँ, मैंने सोचा नहीं; तुम होते तो कैसा होता,, तुम्हारी आँखों में मुझे मेरा अक्स दिखता ही नहीं था,, तुम्हारी बातों में मेरा जिक्र होता ही नहीं था,, तुम्हारी बैचेनियाँ; तुम्हारी परेशनियां,, तुम्हारी धडकनें; तुम्हारी बेताबियाँ,,