रात है गर तो महताब होना चाहिए नींद में तेरा ही ख़्वाब होना चाहिए फूल, ख़त,चंदा-तारे पुराने हैं सभी तोहफा हो तो नायाब होना चाहिए होंठ पे तेरे जानाँ, हँसी आये जभी बाग को पूरा, शादाब होना चाहिए बात है कैसी, कैसे बताऊँ मैं तुम्हें इश्क़ में जानाँ बेताब होना चाहिए रास्ते ये सारे, जाते हैं तेरी ही गली छोर से जन्नत पायाब होना चाहिए ***** ग़ज़ल ***** . " प्रेम दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएँ " . ~ अविनाश कर्ण . महताब - चाँद शादब - हरा भरा