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बहुत दिनों बाद स्वच्छ साँसे ले पा रही है वो किताब

बहुत  दिनों बाद
स्वच्छ साँसे ले पा रही है
वो किताब
ज़ो अलमारी में काफी दिनों से
बंधक थी  और धूल चाट रही थी अबतक
अलमारी से मुक्त होते ही उस किताब क़े
पृष्ठ  फडफड़ा  कर अपनी
उपस्तिथि दर्ज़  करवा रहे थे
और  पृष्ठों पर  अंकित शब्द ठहाके  मार
हंसी हँस रहे थे
पर वो किताब  आशाकित थी कि
कहीं कोई आकर उसके पृष्ठों में छुपे मर्म
को चुरा न ले

©Parasram Arora स्वच्छ साँसे.....
बहुत  दिनों बाद
स्वच्छ साँसे ले पा रही है
वो किताब
ज़ो अलमारी में काफी दिनों से
बंधक थी  और धूल चाट रही थी अबतक
अलमारी से मुक्त होते ही उस किताब क़े
पृष्ठ  फडफड़ा  कर अपनी
उपस्तिथि दर्ज़  करवा रहे थे
और  पृष्ठों पर  अंकित शब्द ठहाके  मार
हंसी हँस रहे थे
पर वो किताब  आशाकित थी कि
कहीं कोई आकर उसके पृष्ठों में छुपे मर्म
को चुरा न ले

©Parasram Arora स्वच्छ साँसे.....