लोगों की गलतियों पर गौर नहीं करता । फिसलते पैरों को थामता नहीं । क्योंकि हार ही है वो ज़िंदगी का दर्पण । जो बताएगी, वक़्त से आगे इंक़लाब है या समर्पण ।। समर्पण -------------------------------- लोगों की गलतियों पर गौर नहीं करता । फिसलते पैरों को थामता नहीं । क्योंकि हार ही है वो ज़िंदगी का दर्पण ।