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आज फिर दिल से एक फरियाद निकली जैसे तेरे ख्वाबों की

आज फिर दिल से एक फरियाद निकली
जैसे तेरे ख्वाबों की बारात निकली
खोजते तुम्हें हम सुबह शाम ओ हमनशीन
परछाई तेरी जैसे आस पास से गुज़री 

आज फिर एक बार तेरी बात निकली 
इन वीरान शामों को रोज़ बिखरते हम
जैसे सूरज की वो आखरी किरण निकली
चांदनी रातों के सिलवटों में कुछ खोए से हम
 इन आंखों से वो ओस की बूंदें बह चली 

आज फिर दिल से एक फरियाद निकली 
उन किस्से कहानियों की याद गुज़री
तेरे अक्स को महफूज रखें हम एक कोने में
जैसे दिल से धीमे धीमे धड़कन निकली

©navroop singh #Fariyaad
आज फिर दिल से एक फरियाद निकली
जैसे तेरे ख्वाबों की बारात निकली
खोजते तुम्हें हम सुबह शाम ओ हमनशीन
परछाई तेरी जैसे आस पास से गुज़री 

आज फिर एक बार तेरी बात निकली 
इन वीरान शामों को रोज़ बिखरते हम
जैसे सूरज की वो आखरी किरण निकली
चांदनी रातों के सिलवटों में कुछ खोए से हम
 इन आंखों से वो ओस की बूंदें बह चली 

आज फिर दिल से एक फरियाद निकली 
उन किस्से कहानियों की याद गुज़री
तेरे अक्स को महफूज रखें हम एक कोने में
जैसे दिल से धीमे धीमे धड़कन निकली

©navroop singh #Fariyaad