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आज बहुत बेचैन है मन, मन की पूरी सुधबुध खो गई, नही

आज बहुत बेचैन है मन,
मन की पूरी सुधबुध खो गई, 
नहीं किया इज़हार, 
सिंदूर लगाए किसी और का, 
आज भी हैं बीमार, 
तप रहा है तन, 
बीमारी ऐसी पाली, 
उजड़ गई हूँ ऐसे, 
जैसे उजड़ता है बगीचा, बिन माली, 
आज बहुत बेचैन है मन,
जिंदगी किसी और के सहारे, 
कैसे कुर्बान करूँ, 
कुर्बान थी तुझपे, 
सरेआम ना सही, 
लेकिन अपनी आँखों से पूछिये, 
कैसे इज़हार होती थी ये अनकही मोहब्बत, 
अब आँखों को ही चलो, 
क्यों ना बदनाम करूँ, 
आज बहुत बेचैन है मन,

 #बेचैनहैमन #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
आज बहुत बेचैन है मन,
मन की पूरी सुधबुध खो गई, 
नहीं किया इज़हार, 
सिंदूर लगाए किसी और का, 
आज भी हैं बीमार, 
तप रहा है तन, 
बीमारी ऐसी पाली, 
उजड़ गई हूँ ऐसे, 
जैसे उजड़ता है बगीचा, बिन माली, 
आज बहुत बेचैन है मन,
जिंदगी किसी और के सहारे, 
कैसे कुर्बान करूँ, 
कुर्बान थी तुझपे, 
सरेआम ना सही, 
लेकिन अपनी आँखों से पूछिये, 
कैसे इज़हार होती थी ये अनकही मोहब्बत, 
अब आँखों को ही चलो, 
क्यों ना बदनाम करूँ, 
आज बहुत बेचैन है मन,

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