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abhishekmishra5572
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अभि "एक रहस्य"

वक़्त और लोगों ने कभी समझा ही नहीं अब लिख लिख कर ही खुद को समझ रहे हैं इनका नाम अभिषेक मिश्रा हैं। ये मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। ये कहते हैं, लेखन इनका पेशा नहीं है, लॉकडाउन में ख़ाली बैठने के कारण इन्होंने कुछ लिखा और ये धन्यवाद देते हैं उन लोगों को जिन्होंने उसे पढ़ा और इन्हें उत्साहित किया लिखने को और इन्हें लिखना अच्छा लगने लगा जब अच्छे जवाब मिलने लगे तो इन्हें लगा सच में ये बहुत अच्छा माध्यम है ख़ुद की भावनाएँ दिखाने का और ख़ुद से बातें करने का।

https://instagram.com/abhishek_mishra_mpeb

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अभि "एक रहस्य"

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अभि "एक रहस्य"

और वो ग़ज़ल पेश कर आँखों में ही उतर आए, 
और उसने सुनसान महफ़िल में ताली बजा दी,
आंसूओं को सहारा था थोड़ा घाव भरने का, 
तूने आँखों की नमी ही सुखा दी,
मासूमियत उसकी देख मैंने,
अपनी आँख ही भिगो दी, 
आखिर परिपक्वता भी क्या चीज है अभि,
जिसने इतनी गहराई में डुबकी लगवा दी, 
कितनी अनजान थी वो, 
जब भेद रहा था हर बाण उसके दिल को, 
जब ग़ज़ल से छलनी हो रहा था जी उसका, 
बस सम्भाला नहीं कोई, 
बहा देता नदियाँ प्यार की, 
वो उसके शब्दों को शब्द समझकर वाह वाह करती रही, 
और वो ग़ज़ल पेश कर आँखों में ही उतर आए,

©अभि "एक रहस्य"
  #gajal
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अभि "एक रहस्य"

मेरे भी थे कुछ ख्वाब,
पता ही नहीं चला कि ये थे ख्वाब,
पूरे कर तो दिए किस किसके ख्वाब,
ख्वाबों की भी मंजिलें होती हैं,
मेरे ख्वाब ने ही बताया ये,
किसी ने अपने ख्वाबों की लिफ्ट में क्या बैठा दिया,
चढ़ता ही गया मैं,
दूसरों के ख्वाबों की ऊंचाई से मेरे ख्वाब की मंजिल धुंधली दिख तो रही है,
पर सुकून की दहलीज तो वहीँ है,
जो पार नहीं कर सका, 
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,
पता ही नहीं चला कि ये थे ख्वाब, मेरे भी थे कुछ ख़्वाब...
#मेरेभीथेख़्वाब #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

मेरे भी थे कुछ ख़्वाब... #मेरेभीथेख़्वाब #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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अभि "एक रहस्य"

हवाओं की फितरत ने मज़ाक कर दिया मुझसे,
मेरे साथ ही तो थी ये हवाएँ,
क्या हुआ आज,
कल के एक झोके ने क्या कर दिया तुम्हें,
कि हवाओं की फितरत ही बदल गयी,
आज वॊ हवा भी उस झोंके के साथ आती है,
फील कहाँ होती है अब वो खुशबू इन हवाओं में,
फील कहाँ होती है वो फीलिंग्स अब इन हवाओं में, 
फितरत ने ही बेवफाई कर दी मुझसे, 
हवाओं की फितरत ने मज़ाक कर दिया मुझसे,

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