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वो दिन भी क्या दिन थे, काग़ज़ की कश्ती थी पानी का

वो दिन भी क्या दिन थे,
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था,
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।

©Deep Chakraborty
  #वो दिन भी क्या दिन थे,

वो दिन भी क्या दिन थे, #शायरी

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