ये तेरी जिंदगी नहीं, तेरी साँसों को कम करती मौत हैं. क्यों तू कहना नही मानता,, तेरी जिंदगी से मेरी जिंदगी को जोड़ रखा हैं मैने,,, ये सिर्फ तुझे ही नहीं,, पल-पल मुझे भी मारती हैं ये भले ही तुझे आज सकून दे पर! नहीं, ये इसके साथ मेरे प्यार, विश्वास को हर पल एक नई मौत देती हैं और तुम सभ्य होकर ये नादानी करते हों,,, शोक रखना हैं तो अपनी खुद्दारी का रख,, जो तुझे आस्माँ की बुलंदियों पर खीच कर ले जाए.... बर्बाद करने के लिए दुनिया आगे आ जाएगी,, पर! सवाँरने के लिए इनके ही कदम पीछे होगें,, ये तेरी जिंदगी नहीं हैं,, तेरे साथ मेरे प्यार की भी मौत हैं.. गीता शर्मा प्रणय #नादानी#सभ्य