गरीब देखता है पहले अपनी जेब का हिसाब, फिर नाप तोल के बुनता है कुछ छोटे-छोटे ख़्वाब। वह नहीं जानता!क्या है मज़हब उसका, जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका। संसार में कर लेता है सूखी रोटी से गुज़ारा, कितनी महीन किश्तों में है इक वक़्त का गुज़ारा। क्या जाने बच्चा गरीब का,खिलौनों की कीमत! कचरे में ही बीनता है वह खुशी,चाहे लगी हो दीमक! नहीं होता कभी उसे ऊँची हसरतों का मलाल, टूटी फूटी खुशियों से बीतें दिन और साल। छल और अहंकार से उसका वास्ता न कोई, फिक्र नहीं जो अधूरी इच्छा भी पूरी न होई, जहर भी पीता है वह ज़िल्लत का कई मर्तबा, दो वक़्त की रोटी है उसके लिए नायाब तोहफा।। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेगें #गुलिस्ताँ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Shelly Jaggi