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जो रिश्ते थे प्यार के,इसने सब तोड़ दिया! बचपन बिता

जो रिश्ते थे प्यार के,इसने सब तोड़ दिया!
बचपन बिता बुढ़ापा आया,
कंबल अंदर साथ सुलाया!
मालिक को इश्वर ने जब पास बूलाया,
आंसू सीने से बहकर बाहर आया!
खाना पीना सब मिट्टी हुआ,
हाल घर का देख सिट्टी पिट्टी हुआ!
दर्द भूलकर अपना आंसू जीभ से चाटा,
पूंछ हिलाते भूं-भूं करके बच्चों को डांटा!
बोला मत रो बाबू पापा आएंगे,
प्यार से गोद में तुम्हें सुलाएंगे!
रो - रो कर पुरा घर बेहाल था,
कुत्ते संग खेल रहा नौनिहाल था!
जो रिश्ते थे प्यार के,कुत्ते ने सब निभा दिया!
कुत्ता भी अपना होता है,सबको इसने बता दिया।
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प्रमोद मालाकार

©pramod malakar
  #कुत्ता भी अपना होता है!

#कुत्ता भी अपना होता है! #कविता

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