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टूट कर बिखर जाते हैं वो लोग दीवारों की तरह जो खुद

टूट कर बिखर जाते हैं वो लोग दीवारों की तरह 
जो खुद से भी ज्यादा किसी और से मुहब्बत करते हैं
 
कोई तेरे साथ नहीं तो भी ग़म ना कर
दुनिया में ख़ुद से बढ़कर कोई हमसफर नहीं
 
मुझे मंजू़र थे वक़्त के सब सितम मगर
तुमसे मिलकर बिछड़ जाना, ये सजा ना दो
 
ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन
बेहद ही करीब से गुज़र कर बिछड़ गया कोई
 
गुजर गया आज का दिन पहले की तरह
न उनको फुर्सत थी और न हमें ख्याल आया
 
मोहब्बत की मिसाल में, बस  इतना ही कहूंगा
बेमिसाल सज़ा है, किसी बेगुनाह के लिए 
 
बहुत देर कर दी तुमने मेरी धड़कनें महसूस करने में
वो दिल नीलाम हो गया जिस पर तुम्हारी कभी हुकूमत थी
 
जिसके होने से मैं ख़ुद को मुकम्मल मानता हूं
मेरे रब के बाद, मैं बस मेरी मां को मानता हूं

(ये शायरी इंटरनेट की दुनिया में लोकप्रिय है। इनके रचनाकार का नाम पता नहीं चल सका। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)

©Sharad bhardwaj
  #singal boy