एक लम्बे अंतराल क़े बाद आज मै आकाश से मुखातिब हुआ हूँ और मुझसे आँख मिलते ही आकाश की आँखे नम होने लगी थी क्योंकि जिस हसरत से मैंने उसे निहारा था ऐसी वातसल्य दृष्टि से आकाश को आजतक किसी और ने नहीं देखा था थोड़ी ढेर तक हम एक दूसरे को प्रमिल निगाहों से देखते रहे और ज़ब होश सम्भला तो आकाश फफक कर रोता हुआ दिखा था और इधर मै भी अपने. आंसुओं को बहने से रोक नहीं पा रहा था ©Parasram Arora आकाशीय प्रेम.......