जिंदगी के आखिरी मुकाम पर अहमियत होती है कुछ बातों का, ढूँढने निकले हैं इस सफर मे मगर मोल होती नहीं रिश्तों जज़्बातों का। बहुत सारी यादें हैं अपने सफर के कुछ धुँधलाती सी आती है नज़र से, अब कुछ मोल नहीं सौगातों का ढूँढने निकले हैं इस सफर मे मगर मोल होती नहीं रिश्तों जज़्बातों का। सारे रिश्ते नाते सब अब पीछे छूट गये बंधी थी जो नातें अब वो बंधन टूट गये, दिल पर निशान है गहरी आघातों का ढूँढने निकले हैं इस सफर मे मगर मोल होती नहीं रिश्तों जज़्बातों का। अमर नहीं इस दूनियाँ मे कोई भी एक दिन सबका साथ छूट जायेगा सारे बंधनों से स्वतः मुक्त हो जायेगा, 'मधुकर' फिर क्या करेगा रिश्ते नातों का ढूँढने निकले हैं इस सफर मे मगर मोल होती नहीं रिश्तों जज़्बातों का। ---मधुकर #ढूँढने निकले हैं