White गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है। एक दोस्त परदेश को जाए,जब दूजा घर आता है। वो पीपल का पेड़ वन्ही है,उसकी छांव में कोई नही है। ऐसा लगता गांव में आके,जैसे गांव में कोई नही है। पुरवा की पुरवइया भी,मन को नही लुभाता है। गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है।। इट के पक्के घर सजे है,कूलर या फिर ए.सी से। इतना विदेशी पन भरा है,दूर हुए पन देशी से। वही गांव के डीह बाबा,वोही मंदिर और विधाता है। गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है। हवा ही दुसित नही हुई है,अब हीन भावना फैली है। बस मतलब ही है भरा हुआ,दजनीति की शैली है। द्वेष भावना इतनी भरी है,मन कुंठित हो जाता है। गांव हमारा गांव रहा ना,अब हर तरफ सन्नाटा है। ©Anand singh बबुआन #Road