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आओ बैठो पास मेरे तुमको पैसे की जात बताते हैं मुफ़लि

आओ बैठो पास मेरे तुमको पैसे की जात बताते हैं
मुफ़लिसी और अमीरी में पैसे की औक़ात बताते हैं

पैसे वालों के लाखों रिश्तेदार दिखाते हैं
बिन पैसे वाले करोड़ों अनाथ दिखाते हैं

पैदा हुए जब तुम, लोग अपना अपना हिसाब लगाते हैं
लगाकर हिसाब तुम्हारे पैदा होने का जश्न मनाते हैं

पैदा करके माँ बाप तुमको बुढ़ापे की लाठी बनाते हैं
गर न बने तुम लाठी तुमको गुलाटी मार भागते हैं

है कमाल पैसे का जो पराये भी सब भाई बन जाते हैं
चला जाये पैसा तो सगे भाई भी दुश्मन बन जाते हैं

जो पैसा होने पर समाज में तुमको सम्मान दिलाते हैं
न हो पैसा वही तुमको समाज की नज़रों से गिराते हैं

होने पर पैसा गैर भी अपने बन जाते हैं
न होने पर अपने भी तुमको गैर बतलाते हैं

कई रंग है पैसे के इस से जीवन में सब रंग भर जाते हैं
बिना पैसे के जीवन के सारे रंग फीके पड़ जाते हैं

पैसे से अपाहिज भी जीवन भर मौज उड़ाते हैं
बिन पैसे के अच्छे खासे भूखे मर जाते हैं

डॉक्टर, पुलिस, वकील, जज पैसे से खरीदे जाते हैं
रिश्ते, जिस्म, ईमान - धर्म सब पैसे से ही बिक जाते हैं

"नक़्श" जिस घर हो पैसा वहाँ जानवर भी प्यार पाते हैं
बिन पैसे के इंसान भी जानवर जैसे मार भगाये जाते हैं

©पूर्वार्थ #पैसा_बोलता_है
आओ बैठो पास मेरे तुमको पैसे की जात बताते हैं
मुफ़लिसी और अमीरी में पैसे की औक़ात बताते हैं

पैसे वालों के लाखों रिश्तेदार दिखाते हैं
बिन पैसे वाले करोड़ों अनाथ दिखाते हैं

पैदा हुए जब तुम, लोग अपना अपना हिसाब लगाते हैं
लगाकर हिसाब तुम्हारे पैदा होने का जश्न मनाते हैं

पैदा करके माँ बाप तुमको बुढ़ापे की लाठी बनाते हैं
गर न बने तुम लाठी तुमको गुलाटी मार भागते हैं

है कमाल पैसे का जो पराये भी सब भाई बन जाते हैं
चला जाये पैसा तो सगे भाई भी दुश्मन बन जाते हैं

जो पैसा होने पर समाज में तुमको सम्मान दिलाते हैं
न हो पैसा वही तुमको समाज की नज़रों से गिराते हैं

होने पर पैसा गैर भी अपने बन जाते हैं
न होने पर अपने भी तुमको गैर बतलाते हैं

कई रंग है पैसे के इस से जीवन में सब रंग भर जाते हैं
बिना पैसे के जीवन के सारे रंग फीके पड़ जाते हैं

पैसे से अपाहिज भी जीवन भर मौज उड़ाते हैं
बिन पैसे के अच्छे खासे भूखे मर जाते हैं

डॉक्टर, पुलिस, वकील, जज पैसे से खरीदे जाते हैं
रिश्ते, जिस्म, ईमान - धर्म सब पैसे से ही बिक जाते हैं

"नक़्श" जिस घर हो पैसा वहाँ जानवर भी प्यार पाते हैं
बिन पैसे के इंसान भी जानवर जैसे मार भगाये जाते हैं

©पूर्वार्थ #पैसा_बोलता_है