कुछ हसीं ख्वाब और कुछ आँसू उम्र भर की यही कमाई है दुनिया का एतबार करें भी तो क्या करें आँसू तो अपनी आँख का अपना हुआ नहीं है यही जिंदगी मुसीबत यही जिंदगी मसर्रत यही जिंदगी हकीकत यही जिंदगी फसाना है. हज़ारों खिज्र पैदा कर चुकी है नस्ल आदमी की ये सब तस्लीम पर आदमी अब तक भटकता है ©Parasram Arora भटकन.......