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नारी सरल है सौम्य है, नारी साहस है। नारी दया है,क्

नारी सरल है सौम्य है, नारी साहस है।
नारी दया है,क्षमा है और नारी करुण रस है।
नारी प्रेम से भरा हुआ गागर है।
और नारी ममता का सागर है।

श्री हरि प्रकाश हैं तो उनकी शक्ति है वो।
शिव जी मोक्ष हैं तो मुक्ति है वो।
ब्रह्मा के कमंडल से झलकती हुई।
सात सुरों से झंकृत होती हुई।

पावन गंगा-यमुना-सी बहती है वो।
ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती है वो।
घर के सभी कार्य सम्भालती बन गृहिणी
वात्सल्य से भरी माँ अन्नपूर्णा भगवती है वो।

राधा के निश्छल प्रेम का संगीत है वो।
तो कभी सीता के संघर्ष की रीत है वो।
कभी मीरा के प्रेम गीतों में खोई हुई,
तो कभी द्रौपदी के हार की जीत है वो।

कभी शबरी के बेरों की मिठास है वो।
तो कभी कर्मा का विश्वास है वो।
माँ बाबा की पगड़ी की शान,
दो घरों की आन, बान और सम्मान है वो

कभी भटकते हुए की राह।
तो कभी पत्थर से निकलती हुई आह।

दूसरे के दुष्कर्मों को सहती हुई 
अहिल्या-सी मौन है वो।
कैसे कोई समझे कौन है वो!

दृष्टिहीन की दृष्टि, ब्रह्मा की सृष्टि, 


हर पावन कर्मों का सब पुण्य है वो।
सब कुछ होते हुए भी शून्य है वो
हाँ, शून्य है वो।

©Sneha Agarwal 'Geet'
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को समर्पित।

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