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मेरे मित्र हम दोनों जीवन से अपरिचित रहेंगें.. यहा

मेरे मित्र
हम दोनों  जीवन से अपरिचित रहेंगें..
यहां तक कि आपस मे और अपने से भी
पर यह बात उसी दिन तक  रहेगी
ज़ब तक मैं तुम्हारी  आवाज़ को  अपनी ही आवाज़ समझ कर न सुनुँगा
और उस समय. मैं तुम्हारे  सामने खड़ा हूँगा
तो ये महसूस  होगा कि  मानो
मैं दर्पण क़े  सामने  खड़ा हूँ l

©Parasram Arora अपरिचित ......
मेरे मित्र
हम दोनों  जीवन से अपरिचित रहेंगें..
यहां तक कि आपस मे और अपने से भी
पर यह बात उसी दिन तक  रहेगी
ज़ब तक मैं तुम्हारी  आवाज़ को  अपनी ही आवाज़ समझ कर न सुनुँगा
और उस समय. मैं तुम्हारे  सामने खड़ा हूँगा
तो ये महसूस  होगा कि  मानो
मैं दर्पण क़े  सामने  खड़ा हूँ l

©Parasram Arora अपरिचित ......

अपरिचित ......